AYUSH Citizen Charter
प्रस्तावना
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भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद्, भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद्, अधिनियम, 1970 के अधीन भारत सरकार के राजपत्र अधिसूचना असाधारण भाग-II धारा
3 (II) दिनांक 10.08.1971 के अधीन गठित एक सांविधिक निकाय है।स्थापना वर्ष 1971 से ही केन्द्रीय परिषद् स्नातकीय और स्नातकोत्तर स्तरों पर भारतीय चिकित्सा पद्धति में यथा आयुर्वेद, सिद्ध एवं यूनानी की पाठ्यविधि एवं पाठ्य विवरण सहित विभिन्न विनियमों को बनाती एवं लागू करती रही है। राजपत्र अधिसूचना संख्या 2345 दिनांक 16.12.2011 के अनुसार वर्श 2012 से सोवा रिग्पा चिकित्सा पद्धति भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् में सम्मिलित की गर्इ है। अब भारतीय चिकित्सा पद्धति के समस्त महाविद्यालय देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध है। ये महाविद्यालय केन्द्रीय परिषद् द्वारा विहित षिक्षा के न्यूनतम स्तर तथा पाठ्यविधि तथा पाठ्य-विवरण का अनुसरण कर रहें हैं।
भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् के मुख्य प्रयोजन निम्नवत् है :-
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भारतीय चिकित्सा पद्धति यथा आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी तिब्ब तथा सोवा रिग्पा में शिक्षा के न्यूनतम मानक विहित करना ।
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भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् अधिनियम, 1970 की द्वितीय अनुसूची में/से चिकित्सीय अर्हताओं की मान्यता के मान्यता को वापस लिए जाने से सम्बन्धित मामलों पर केन्द्रीय सरकार को अनुशंसा भेजना।
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भारतीय चिकित्सा की केन्द्रीय पंजिका का रख-रखाव करना और समय-समय पर उसे परिषोधित करना ।
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भारतीय चिकित्सा के चिकित्साभ्यासियों द्वारा अनुपालन करने के लिए आचरण एवं षिष्टाचार तथा आचार संहिता के मानक विहित करना ।
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भारतीय चिकित्सा पद्धति के नये महाविद्यालय स्थापित करने, स्नातकीय एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेष क्षमता बढ़ाने एवं नये अथवा स्नातकोत्तर अतिरिक्त विषयों को प्रारम्भ करने हेतु विभिन्न संस्थानों से प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करना व भारत सरकार को अनुशंसाएं भेजना ।
संदृष्य
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परिषद् का संदृष्य है एक सर्वोत्कृश्ट नियन्त्रक निकाय बनना जो वैष्विक प्रवृत्ति हेतु राश्ट्रीय आवष्यकता को समझते हुए शिक्षा में मार्गदर्शन करें, विकास लाए तथा उत्कृश्टता की संस्था के नेटवर्क को बनाए रखे। साथ ही साथ भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सा अभ्यास को नियंत्रित करें।